तुमसे इक प्रश्न पुछूं मेरे राम तुमने स्वयं क्यों नहीं दी अग्निपरीक्षा ....... तुम्हारी चलाई इस परंपरा में आज भी कितनी औरतों को देनी पड़ रही हैं अग्निपरीक्षाएं ..... इतिहास दुहरा रहा है स्वयं को अंतहीन-सीमाहीन तुम्हें कैसे मांफ कर दूं मेरे राम
अरसा पहले इस कविता को कहीं पढ़ा था। इस तस्वीर को देख फिर याद आ गई। सो तस्वीर और कविता साथ-साथ।
भागलपुर में स्कूली पढ़ाई के बाद दिल्ली आना हुआ। फिर दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कालेज से पढ़ाई-वढ़ाई हुई। अब खबरनवीशी की दुनिया ही अपनी दुनिया है। आगे राम जाने...
रेणु और गाम-घर
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खेत में जब भी फसल की हरियाली देखता हूँ तो लगता है कि फणीश्वर नाथ रेणु खड़ें
हैं, हर खेत के मोड़ पर। उन्हें हम सब आंचलिक कथाकार कहते हैं लेकिन सच यह है
कि व...
2 comments:
amazing truth
bahut khub
badhai is ke liye aap ko
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