प्रभाष जोशी के करीबी लोग बताते हैं कि उनका 73वां जन्म दिन ऐसा पहला जन्मदिन था, जिसे उन्होंने राजी-खुशी मनाया। इससे पहले तक तो वे दबाव से ही मनाते आ रहे थे। सन् 1997 में पहली बार उनका साठवां जन्म दिन इंदौर में मनाया गया था। तब से यह सिलसिला जारी था। यह उस कड़ी की अंतिम तस्वीर है, जिसे संजय तिवारी ने अपने कैमेरे में कैद किया था।
भागलपुर में स्कूली पढ़ाई के बाद दिल्ली आना हुआ। फिर दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कालेज से पढ़ाई-वढ़ाई हुई। अब खबरनवीशी की दुनिया ही अपनी दुनिया है। आगे राम जाने...
रेणु और गाम-घर
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खेत में जब भी फसल की हरियाली देखता हूँ तो लगता है कि फणीश्वर नाथ रेणु खड़ें
हैं, हर खेत के मोड़ पर। उन्हें हम सब आंचलिक कथाकार कहते हैं लेकिन सच यह है
कि व...
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http://www.youtube.com/watch?v=1ZADwvQ0tQI
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