इक साथी ने कहा कि पीला भी कोई रंग है। रोग का सूचक है। तब हमने कहा,पीला ही रंग है- जैसे यह फूल। जैसे कि हल्दी आदि-आदि। कभी पराग को देखा है? इस शहर में तो लोग पराग भी नहीं जाते-अब क्या रहें! तपाक से इक अन्य साथी ने कहा- न जानें अपनी बला से। उससे पराग के गुण में कोई फर्क थोड़े ही आने वाला है।
भागलपुर में स्कूली पढ़ाई के बाद दिल्ली आना हुआ। फिर दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कालेज से पढ़ाई-वढ़ाई हुई। अब खबरनवीशी की दुनिया ही अपनी दुनिया है। आगे राम जाने...
रेणु और गाम-घर
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खेत में जब भी फसल की हरियाली देखता हूँ तो लगता है कि फणीश्वर नाथ रेणु खड़ें
हैं, हर खेत के मोड़ पर। उन्हें हम सब आंचलिक कथाकार कहते हैं लेकिन सच यह है
कि व...
2 comments:
Sabhi rang sundar hain, bas dekhne waali nazar chaahiye.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
कम शब्दों में विचार करने के लिए सवालों का सैलाब...
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